पद्धरि छंद
छन्द पद्धरि पर आधारित
मात्रा 16
प्रारम्भ गुरु से अन्त -भान(121)
हे कमल नयन सुन ले पुकार ।
मैं विनती करता बार -बार। १।
है झूठ फला जग में अपार।
तू इसमें कर अब कुछ सुधार।। २।
तेरी माया से भ्रमित नाथ ।
मैं भूल गया अपना सु-पाथ। ।3।
मैं भी तेरा इक तुच्छ दास।
हिय में कर तू अब निवास ।4।
मेरी विनती हे जगत नाथ।
मेरे ऊपर रख वरद हाथ।5।