दुनिया एक बसेरा है “हाकलि छंद”१४मात्रिक,अंत में गुरु
दुनिया एक बसेरा है।
थोड़े दिन का डेरा है।।(१)
माया रूपी जाल बिछा,
भ्रम ने हमको घेरा है।(२)
अंधकार के बादल ये,
चारों तरफ अंधेरा है।।(३)
भूल गया असली मकसद,
सब किस्मत का फेरा है।(४)
अटल कहे,हुआ वावरा;
मन चकराया मेरा है।(५)