सगे जो हैं सगों ने ही सताया है
सिंधु छंद
१२२२ १२२२ १२२२
समय की चाल ने हर पल चलाया है।
सगे जो हैं सगों ने ही सताया है।।
समय की क्रूरतम घातक हवाओं ने,
तृणों की भांति हर पल ही उड़ाया है।
बुझाने जब कभी भी मैं बढा आगे,
उन्हीं लपटों ने ही मुझको जलाया है।
समय की ताप में तपकर गढ़ा हूं मैं,
उसी तप ने मुझे कंचन बनाया है।
अटल कैसे लिखे अब बात दिल की वो,
सभी कुछ तो जमाने ने सिखाया है।।
🙏💐🙏
अटल मुरादाबादी