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26 May 2022 · 1 min read

सगे जो हैं सगों ने ही सताया है

सिंधु छंद
१२२२ १२२२ १२२२
समय की चाल ने हर पल चलाया है।
सगे जो हैं सगों ने ही सताया है।।

समय की क्रूरतम घातक हवाओं ने,
तृणों की भांति हर पल ही उड़ाया है।

बुझाने जब कभी भी मैं बढा आगे,
उन्हीं लपटों ने ही मुझको जलाया है।

समय की ताप में तपकर गढ़ा हूं मैं,
उसी तप ने मुझे कंचन बनाया है।

अटल कैसे लिखे अब बात दिल की वो,
सभी कुछ तो जमाने ने सिखाया है।।
🙏💐🙏
अटल मुरादाबादी

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