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10 May 2022 · 1 min read

आग जो लग रही है बुझाओ इसे

स्रिवणी छंद
विधा-गीतिका
मापनी२१२ २१२ २१२ २१२
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देखें 🙏💐🙏

आग जो लग रही है बुझाओ इसे।
देश पीछे हुआ जो बढाओ इसे।।(१)

वक्त गुजरा बहुत आपसी रंज में,
एक पल भी नहीं अब गंवाओ इसे।।(२)

घाव तन पर वतन के लगें हैं बहुत,
प्यार का लेप अब तुम लगाओ इसे।(३)

हो रहा है विखंडित सपन देश का,
स्वार्थ को दूर रखकर सजाओ इसे।।(४)

खून अब बह चुका बेवजह ही बहुत,
मान मेरी जरा, मत बहाओ इसे।(५)

भूत में भी रहा है गुरू विश्व का,
काम ऐसे करो फिर बनाओ इसे।(६)

छोड़ दो कृत्य नफरत के अब ऐ अटल!
प्रीत की रीति से ही चलाओ इसे।(७)
🙏💐🙏
अटल मुरादाबादी

1 Like · 134 Views
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