आज तुम्हारे होंठों का स्वाद फिर याद आया ज़िंदगी को थोड़ा रोक क
दिल में दबे कुछ एहसास है....
करता नहीं यह शौक तो,बर्बाद मैं नहीं होता
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तलाशता हूँ - "प्रणय यात्रा" के निशाँ
आख़िरी इश्क़, प्यालों से करने दे साकी-
मत जला जिंदगी मजबूर हो जाऊंगा मैं ,
हद्द - ए - आसमाँ की न पूछा करों,
'स्वागत प्रिये..!'
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
था मैं तेरी जुल्फों को संवारने की ख्वाबों में
पुरानी यादें ताज़ा कर रही है।
कैसे लिखूं
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
*जाति मुक्ति रचना प्रतियोगिता 28 जनवरी 2007*
मैं छोटी नन्हीं सी गुड़िया ।