किसके हाथों में थामो गे जिंदगी अपनी
अयोध्या धाम तुम्हारा तुमको पुकारे
अंदाज़े बयाँ
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जिंदगी भी फूलों की तरह हैं।
सीने पर थीं पुस्तकें, नैना रंग हजार।
मैं लिखता हूँ जो सोचता हूँ !
नफरतों से अब रिफाक़त पे असर पड़ता है। दिल में शक हो तो मुहब्बत पे असर पड़ता है। ❤️ खुशू खुज़ू से अमल कोई भी करो साहिब। नेकियों से तो इ़बादत पे असर पड़ता है।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
*दादी बाबा पोता पोती, मिलकर घर कहलाता है (हिंदी गजल)*
हमें भी देख जिंदगी,पड़े हैं तेरी राहों में।
उगते हुए सूरज और ढलते हुए सूरज मैं अंतर सिर्फ समय का होता है
23/194. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
छाया है मधुमास सखी री, रंग रंगीली होली
केही कथा/इतिहास 'Pen' ले र केही 'Pain' ले लेखिएको पाइन्छ।'Pe
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)