गाँव की प्यारी यादों को दिल में सजाया करो,
शिवकुमार बिलगरामी के बेहतरीन शे'र
23/86.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
धुंध छाई उजाला अमर चाहिए।
क्यों तुम उदास होती हो...
कितना मुश्किल है केवल जीना ही ..
हर सांस की गिनती तय है - रूख़सती का भी दिन पहले से है मुक़र्रर
हिन्दी दोहा शब्द- फूल
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
International Day Against Drug Abuse
खिचे है लीक जल पर भी,कभी तुम खींचकर देखो ।
*बोलो चुकता हो सका , माँ के ऋण से कौन (कुंडलिया)*
सुना है सपनों की हाट लगी है , चलो कोई उम्मीद खरीदें,
सर्द हवाएं
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
भगवान ने कहा-“हम नहीं मनुष्य के कर्म बोलेंगे“
उपमान (दृृढ़पद ) छंद - 23 मात्रा , ( 13- 10) पदांत चौकल