गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जो दूरियां हैं दिल की छिपाओगे कब तलक।
कल मालूम हुआ हमें हमारी उम्र का,
राना दोहावली- तुलसी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आधुनिक परिवेश में वर्तमान सामाजिक जीवन
जब कोई न था तेरा तो बहुत अज़ीज़ थे हम तुझे....
*आया पहुॅंचा चॉंद तक, भारत का विज्ञान (कुंडलिया)*
हौसला बुलंद और इरादे मजबूत रखिए,
विपरीत परिस्थिति को चुनौती मान कर
रमेशराज की पद जैसी शैली में तेवरियाँ
दो दिन की जिंदगानी रे बन्दे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
होती नहीं अराधना, सोए सोए यार।
माई कहाँ बा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
नवल प्रभात में धवल जीत का उज्ज्वल दीप वो जला गया।