💐अज्ञात के प्रति-73💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
भीष्म देव के मनोभाव शरशैय्या पर
पूरा कुनबा बैठता, खाते मिलकर धूप (कुंडलिया)
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
साहित्य में प्रेम–अंकन के कुछ दलित प्रसंग / MUSAFIR BAITHA
प्यार का यह सिलसिला चलता रहे।
देह माटी की 'नीलम' श्वासें सभी उधार हैं।
जब भी किसी कार्य को पूर्ण समर्पण के साथ करने के बाद भी असफलत
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
मुक्ती
सुशील कुमार सिंह "प्रभात"