मुस्कुराना चाहते हो
** गीतिका **
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जिन्दगी में मुस्कुराना चाहते हो।
और सब को आजमाना चाहते हो।
तुम नहीं बदलोगे अपनी चाहतें।
शर्त पर बाजी लगाना चाहते हो।
तोड़ देते हैं सभी का दिल हमेशा।
ज़ख्म बस अपने दिखाना चाहते हो।
एक तरफा प्यार है फितरत तुम्हारी।
काम बस इससे चलाना चाहते हो।
वक्त के अनुरूप कुछ बदलो स्वयं को।
स्नेह पथ पर पग बढ़ाना चाहते हो।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)