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4 Oct 2021 · 1 min read

गीत गजल या गीतिका लिखिए मन भरपूर

मंच को नमन!
४/१०/२१
काव्य तरंगिणी पटल
विधा -गीतिका
छंद-दोहा
गीत,गजल या गीतिका,लिखिए मन भरपूर।
मन के सब संताप को,रखिए हिय से दूर।(१)

भाव बहें जल धार से,निर्मल,स्वच्छ अपार,
हिय में शुचिता वास हो,कटुता रहे सुदूर।(२)

छोटी खोटी बात भी,मन को देती चोट।
मीठी छोटी बात भी,कष्ट करे काफूर।(३)

मन से मन का हो मिलन,सच्ची होती प्रीत,
प्रीत कुटिल होती अगर,सब हो चकनाचूर।(४)

भाव भावना हो कुटिल, यदि मन में हो चोर,
काम नहीं आता कभी, दुनिया भर का नूर।(५)

?अटल मुरादाबादी ?

2 Likes · 1 Comment · 218 Views
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