आस्मां में उड़े तिरंगा है
छंद-पारिजात
2122 1212 22
मेरे भारत का ऐसा रुतबा है।
आस्मां मे उड़े तिरंगा है।।(1)
दुश्मनों को चटाता धूल सदा,
शूरवीरों को पथ दिखाता है। (2)
कहते थे वो सपेरों वाला जी,
आज दुनिया में बोल- बाला है। (3)
वक्त पहले खराब था लेकिन
आज तो खुशगवार लगता है। (4)
धुंध थी फलक पे गगन के भी
आज लेकिन सुधार दिखता है। (5)
लोग करते उन्हीं सवालों को,
जिनसे उनको सु-लाभ होता है। (6)
आज हलचल सभी दलों में है,
डूबता अब जहाज उनका है । (7)
अटल मुरादाबादी