जिसकी फितरत वक़्त ने, बदल दी थी कभी, वो हौसला अब क़िस्मत, से टकराने लगा है।
ये वक़्त जाने क्यों, खुद को दोहराने लगा है, भूली-बिसरी सदाओं को, नए आवाज में गाने लगा है। जिन वादियों में, खुद को खोया था कभी, जाने क्यों वही मंज़र,...
Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी