Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Sep 2022 · 1 min read

जीवन क्षणभंगुरता का मर्म समझने में निकल जाती है।

स्वयं के अक्स की पहचान, धूमिल सी हो जाती है,
विपत्तियों की गाठें जब, जीवन की डोर में लग जाती हैं।
खुशियों के क्षण तो, पलक झपकते खो जाते हैं,
पर ये जो दुःख के बादल हैं, बरसों तक मंडराते हैं।
आँखों में लगा काजल, बुरी नज़रों से तो बचाता है,
पर आंसुओं की बरसात में, वही चेहरे को स्याह कर जाता है।
दर्द की विरासतें साँसों में, कुछ ऐसे घुल जाती हैं,
कि धमनियों में रक्त नहीं, यादें कलरव करते मुस्कुराती हैं।
कोई कहे ना कहे, हर मन, हर वक़्त एक द्वन्द में रहता है,
जीत की आस में हर क्षण, जाने कितने दर्दों को सहता है।
वक़्त तो थमता नहीं, जाने हम कैसे थम जाते हैं,
औरों के किये की सज़ा, अपने अंतर्मन को दे जाते हैं।
आने वाले कल की कल्पना में, हम खुद को रोज़ जलाते हैं,
पर ये जो आज, कल बनता जा रहा है, इसे रुसवा कर जाते हैं।
धोखा स्थायित्व का, हर आँख पे पट्टी बन चढ़ जाती है,
और जीवन क्षणभंगुरता का मर्म, समझने में निकल जाती है।
हँसते चेहरे हीं तो, उदासियों का आवरण छिपाये जिये जाते हैं,
इस रात की सुबह होगी, बस इसी इंतज़ार में, उनके शब्द गुनगुनाते हैं।

4 Likes · 5 Comments · 330 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Manisha Manjari
View all
You may also like:
रोज डे पर रोज देकर बदले में रोज लेता है,
रोज डे पर रोज देकर बदले में रोज लेता है,
डी. के. निवातिया
काश
काश
लक्ष्मी सिंह
मैं अपने दिल में मुस्तकबिल नहीं बनाऊंगा
मैं अपने दिल में मुस्तकबिल नहीं बनाऊंगा
कवि दीपक बवेजा
सद् गणतंत्र सु दिवस मनाएं
सद् गणतंत्र सु दिवस मनाएं
Pt. Brajesh Kumar Nayak
माँ
माँ
Arvina
माँ का आशीर्वाद पकयें
माँ का आशीर्वाद पकयें
Pratibha Pandey
हो गया तुझसे, मुझे प्यार खुदा जाने क्यों।
हो गया तुझसे, मुझे प्यार खुदा जाने क्यों।
सत्य कुमार प्रेमी
अंतरंग प्रेम
अंतरंग प्रेम
Paras Nath Jha
देने तो आया था मैं उसको कान का झुमका,
देने तो आया था मैं उसको कान का झुमका,
Vishal babu (vishu)
दिल को सिर्फ तेरी याद ही , क्यों आती है हरदम
दिल को सिर्फ तेरी याद ही , क्यों आती है हरदम
gurudeenverma198
फेसबुक गर्लफ्रेंड
फेसबुक गर्लफ्रेंड
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*सौ साल दुनिया में बिताना, एक टेढ़ी खीर है(हिंदी गजल/ गीतिका)*
*सौ साल दुनिया में बिताना, एक टेढ़ी खीर है(हिंदी गजल/ गीतिका)*
Ravi Prakash
देश आज 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा,
देश आज 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा,
पूर्वार्थ
*रंग पंचमी*
*रंग पंचमी*
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
"महंगा तजुर्बा सस्ता ना मिलै"
MSW Sunil SainiCENA
विरह
विरह
Neelam Sharma
कवि की कल्पना
कवि की कल्पना
Rekha Drolia
1-	“जब सांझ ढले तुम आती हो “
1- “जब सांझ ढले तुम आती हो “
Dilip Kumar
साहित्य सत्य और न्याय का मार्ग प्रशस्त करता है।
साहित्य सत्य और न्याय का मार्ग प्रशस्त करता है।
पंकज कुमार कर्ण
दो फूल खिले खिलकर आपस में चहकते हैं
दो फूल खिले खिलकर आपस में चहकते हैं
Shivkumar Bilagrami
23/36.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/36.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
श्रीराम पे बलिहारी
श्रीराम पे बलिहारी
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
कोई किसी का कहां हुआ है
कोई किसी का कहां हुआ है
Dr fauzia Naseem shad
dr arun kumar shastri
dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कभी जब ग्रीष्म ऋतु में
कभी जब ग्रीष्म ऋतु में
Ranjana Verma
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
💐प्रेम कौतुक-277💐
💐प्रेम कौतुक-277💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
"दहलीज"
Ekta chitrangini
ये कैसा घर है. . . .
ये कैसा घर है. . . .
sushil sarna
#लघुव्यंग्य-
#लघुव्यंग्य-
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...