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दिखावा, अंधविश्वास और संकीर्ण सोच पर करारी चोट…….. बेहतरीन रचना 😊

29 Sep 2022 09:15 AM

बहुत बहुत आभार रमण जी🙏🙏🙏 😊

समाज को जागृत कर देने वाली रचना 🙏🙏🙏

28 Sep 2022 01:50 PM

बहुत बहुत आभार वैष्णवी जी🙏🙏🙏

वा क्या बात है पुरुषी समाजव्यवस्था को आईना दिखाती एक लाजवाब खूबसूरत रचना, पुरुषी मानसिकता की आँखों के अहम् के परदों को तार तार करती एक परिवर्तनीय कलम 🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌷🌷🌷

जी धन्यवाद..! बस समाजपरिवर्तन का एक कतरा भी बने तो हमारा जीवन सफल होगा हर व्यक्ति की सोच में बदलाव लाना जरुरी है 🙏🙏🙏

28 Sep 2022 12:54 PM

बहुत हीं उम्दा सोच है आपकी ये सौभाग्य है हमारा की आप जैसे लेखकों का साथ मिला मुझे 🙏🙏🙏

27 Sep 2022 11:10 PM

क्यों ना इस नवरात्र उस मानसिकता की हीं बलि चढ़ायेंगे बेहतरीन विचार को साहित्य पटल पर आपने रखा है और नारी के उत्थान की ओर अपनी रचना के जरिए जागृती फेलाने की बेहतरीन कोशिश की है। लाजवाब सृजन👌👌👌👌🙏🙏🙏🙏🌷🌷🌷

27 Sep 2022 11:14 PM

बहुत बहुत आभार अनामिका जी… साहित्य तो समाज का प्रतिबिंब होता है.. बस कोशिश यही है कि ये रचनाएँ थोड़ी सी जागरूकता जगा सके 🙏🙏

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