ये दुनिया इश्क़ को, अनगिनत नामों से बुलाती है, उसकी पाकीज़गी के फ़ैसले, भी खुद हीं सुना जाती है।
कुछ इल्तेजायें, आख़री पन्नों तक गुनगुनाती हैं, अपनी क़िस्मत, को हर पड़ाव पर आज़माती हैं। कभी रूह को, सुकून की नज़र कर जाती हैं, तो कभी हर एहसास को, खाक...
Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी