Jitendra Anand Tag: मुक्तक 31 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Jitendra Anand 6 Nov 2016 · 1 min read मुक्तक: हर सुबह एक नई आस लिए होती है:- जितेंद्रकमलआनंद( १३२) मुक्तक ::--- ------++ हर सुबह एक नई आस लिए होती है दोपहर एक अमिट प्यास लिए होती है डूब जाता हूँ याद की तन्हाईयों में -- चॉदनी रात जब मधुमास... Hindi · मुक्तक 269 Share Jitendra Anand 1 Nov 2016 · 1 min read भक्ति- योग से राज- शक्ति का जब हो भण्डारन बाला ( पोस्ट १२८) मुक्तक :: भक्ति-- योग से राज - शक्ति का जब हो भण्डारन , बाला! असुर - शक्तियों के छल- बल का होता तब मारण , बाला! आत्म -- तत्व का... Hindi · मुक्तक 272 Share Jitendra Anand 1 Nov 2016 · 1 min read समय बदलते सूखी धरती मुस्काती :: जितेंद्र कमल आनंद मुक्तक ( पोस्ट १२७) ----------------------- समय बदलते सूखी धरती मुस्काती ऐसे बाला । नयी नवेली ओढ चुनरिया मदमाती जैसे बाला । सृष्टि - चक्र का घूर्णन निश्चित सुखद समय भी... Hindi · मुक्तक 232 Share Jitendra Anand 1 Nov 2016 · 1 min read घूँट सुरा का तीखा होता प्यालों में : जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट१२६) घूँट सुरा का तीखा होता प्यालों में माना ,बाला ! यात्रा शभ हो जाये भर दो खाली पैमाना ,बाला ! मेरे होठों के गीतों को रस मिल जाये भावों का... Hindi · मुक्तक 1 359 Share Jitendra Anand 29 Oct 2016 · 1 min read दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ : जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट१२५) मुक्तक --------- आओ मिलकर मनायें दीपावली । ज्योतिर्मयी दीप-- मालाएँ हों ! मात-- पिता ,भाई- बहनों के संग, सँग बच्चे, सँग बालाएँ हों ! आओ मिलकर मनाएँ दीपावली !!१!! नेह... Hindi · मुक्तक 493 Share Jitendra Anand 26 Oct 2016 · 1 min read मुक्तक ::: बना रहे सम्बंध प्यारका::: जितेन्द्र कमल आनंद ( ११७) मुक्तक ******* बना रहे सम्बंध प्यार का शुभ दिन - राती । हम लिखते हैं स्नेहापूरित सबको पाती । बना रहे सहकार ,परस्पर हमसे - तुमसे । सबकी जाती ब्रह्म... Hindi · मुक्तक 1 326 Share Jitendra Anand 25 Oct 2016 · 1 min read मन सुमन को चाहिए लब मुस्कराते: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट११२) दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ ::: मुक्तक ----------------+---+------+;+++-+++- मन सुमन को चाहिए, लब मुस्कराते । कवि रसिक को चाहिए ये गीत गाते । हों ऋचाएँ छंद के सँग में मधुरतम| ।... Hindi · मुक्तक 433 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read समय बदलते सूखी धरती मुस्काती:: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट ५१) मुक्तक समय बदलते सूखी धरती मुस्काती जैसे बाला । नयी नवेली ओढ़ चुनरिया मदमाती जैसे बाला । सृष्टि -- चक्र का घूर्णन निश्चित सुखद समय भी लाता यों नवल प्रकृति... Hindi · मुक्तक 1 363 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read समझा है कभी नारी नज़ाकत को क्या-- जितेन्द्र कमल आनंद ( ५३) रुबाई ::: ---------- समझा है कभी नारी नज़ाकत को क्या । समझा है कभी फौज़ी शहादत को क्या । ये सृजन , वो सुरक्षा ही किया करते हैं । समझा... Hindi · मुक्तक 1 332 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read ये फोज़ी हर बार लड़ा करते हैं-- जितेन्द्र कमल आनंद ( ५१) रुबाई :: ----------- ये फौज़ी हर बार लड़ा करते हैं । हथियारों पर धार धरा करते हैं । कब करते परवाह ' कमल ' जीवन की। ये वीर गति को... Hindi · मुक्तक 1 440 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read इन्सान नहीं अगर नहीं साथ दिया :: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट५०) रुबाई :: ----------- इंसान नहीं अगर नहीं साथ दिया । सत्कर्म -- धर्म किया न ही काम लिया । ' कमल ' तो सदा सत्य कहे , सत्य सुने ।... Hindi · मुक्तक 421 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read आस का ,अभिलाष का ,विश्वास का हो:: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट४९) मुक्तक मुक्तक :: आस का , अभिलाष का , विश्वास का हो । पल्लवित वट -- वृक्ष अब मधुमास का हो । बैठ जिसकी छॉव में जीवन सँवारें । हम सभी... Hindi · मुक्तक 374 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read वृक्ष की उपादेयता: वृक्ष केवल अचल,हेते नहीं:: जितेंद्रकमलआनंद ( ४७) घनाक्षरी :: क्रमॉक ४७ वृक्ष केवल अचल होते नहीं जडवत, सुनो वत्स! यह तो विश्व जीवन आधार हैं ,। प्राणियोंके रक्षक तरु मीत हैं समाज के , इनसे भी होता... Hindi · मुक्तक 826 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read जयबालाजी :: परिमोहन की, परिशोधनकी करें बात:: जितेंद्रकमलआनंद ( ४५) ताटंक छंद क्रमॉक ४६-- परिमोहनकी, परिशोधन की, करें बात सब परहित की । पराभक्ति जब परिवर्तन की करे बात ,खोले खिड़की । कहती है वह नया सबेरा, देखो अब आने... Hindi · मुक्तक 224 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read जयबालाजी:: शक्ति महवर माला मॉगे ! जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट ४५) ताटंक छंद :: ४५ शक्ति महावर - माला मॉगे, भक्ति महावीरी चंदन राम मॉगते पत्रम् पुष्पम , दास्य भावल, अर्चन- वंदन यत्र- तत्र- सर्वत्र धरा पर , मंत्र- सूत्रकी ले... Hindi · मुक्तक 384 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read जयबालाजी:: पंक राशि में अनासक्त रह कमल:: जितेन्द्र कमल आनंद ( ४४) ताटंक छंद क्रमॉक ४४ पंक- राशि में अनासक्त रह ,कमल कलुष उरका धोता खिल जाती तब भक्ति कली - सी , रश्मि अवतरण जब होता । देती मधु मकरंद -... Hindi · मुक्तक 473 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read जयबालाजी:: वृक्ष- मूल- सिंचनसे जैसे तृप्त :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट४३) ताटंक छंद : क्रमॉक ४३ वृक्ष- मूल - सिंचन से जैसे तृप्त ' कमल ' पल्लव होते भक्तिवान - अर्चनसे वैसे तुष्ट प्रफुल्लित प्रभु होते । भक्ति छंद है ,... Hindi · मुक्तक 497 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read जयबालाजी: पानी बहते रहने से ही,सरित- सलिल:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट३८) पानी बहते रहने से ही सरित सलिल बनता निर्मल । जैसे दूँज- चॉद चलने से पूर्ण इन्दु बनता उज्जवल । " कमल" संत भी विमल हंसवत् मोतीको चुगनेवाला चलता रहता... Hindi · मुक्तक 223 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read जयबालाजी :: बने न मन वृन्दावन- कानन :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट ४२) ताटंक छंद बने न मन वृन्दावन - कानन , भक्ति नहीं कहलाती है मिले इष्ट जिससे मनभावन , भक्ति वही कहलाती है भक्ति सुमति है, भक्ति सुगति है, भक्ति प्रणय... Hindi · मुक्तक 400 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read जयबालाजी:: भक्ति दृगों से नहीं ह्रदय से :: जितेंद्रकमलआनंद (४१) ताटंक छंद: भक्ति दृगों से नहीं , ह्रदयसे देखी- समझी जाती है । भक्ति विकलके पोछे ऑसू, भक्ति स्वर्ग कहलाती है भक्ति गीत है, भक्ति मीत है , प्रेम पंथ... Hindi · मुक्तक 364 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read जयबालाजी:: खेत जोतनेवाले कृषकों ! :: जितेंद्रकमलआनंद ( ४०) ताटंक छंद :: खेत जोतने वाले कृषकों , करो खेत के मत टुकडे । लोभी सब बन जायेंगे जब,अर्थहीन होंगे मुखड़े । कैसे खेत जुतेगा तेरा, भर पायेगा कब आला... Hindi · मुक्तक 1 242 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read जयबालाजी:: : निष्कामी हो पूर्ण शॉति मन यन्त्र योग का :: जितेन्द्रकमल आनंद ( ३९) निष्कामी हो पूर्ण शांत मन यंत्र योग का बन जाता । करे राम का दर्शन भावन योगी बनकर हर्षाता । मिले तन्त्र तन का यदि सम्बल| तो मृदु उर वीणा... Hindi · मुक्तक 228 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read जयबालाजी: पानी बहते रहने से ही,सरित- सलिल:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट३८) पानी बहते रहने से ही सरित सलिल बनता निर्मल । जैसे दूँज- चॉद चलने से पूर्ण इन्दु बनता उज्जवल । " कमल" संत भी विमल हंसवत् मोतीको चुगनेवाला चलता रहता... Hindi · मुक्तक 375 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read चक्र सुदर्शन , विहग गरण जब फूले थे बल म्ं बाला । चक्र सुदर्शन , विहग गरुण जब फूले थे बलमें , बाला! कृष्ण इंगितों पर लीलाकर अहम् हरा पलमें ,बाला ! रूप धरा हरि ने रघुवरका, बनी सत्यभामा , सीता ।... Hindi · मुक्तक 362 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read जयबालाजी; चक्र सुदर्शन ने जब रोका :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट३४) ताटंक ३४ चक्र सुदर्शन ने जब रोका उसको मुखमें ग्रहण किया पूर्व गरुणके ,पहुँच द्वारिका , अहम् चूर कर सबक दिया मुदित हुए तब राम अापके, कृष्ण और को थे,... Hindi · मुक्तक 338 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read जयबालाजी:: भीमसेनमद हरनेकी लीला की:: जितेन्द्रकमल आनंद ( पोस्ट३३) जयबालाजी:: ताटंक छंद क्रमॉक-- ३३ चक्र सुदर्शन ,विहग गरुण जब फूले थे बल में बाला । कृष्ण- इंगितों पर लीला कर , अहम् हरा पलमें बाला ! रूप धरा हरि... Hindi · मुक्तक 242 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read जयबालाजी:: पीने को शिव इष्ट रामकी हाला:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट ३२) जयबालाजी:: पीनेको शिव इष्ट रामकी दीप्ति माधुरी की हाला । दशरथ प्रांगणमें पहुँचे धर रूप मदारी का आला । संग चपल सुंदर बंदर ले, खेल दिखाते वे सबको । एक... Hindi · मुक्तक 751 Share Jitendra Anand 18 Oct 2016 · 1 min read जय बाला जी: मॉग सिया की सेंदुर पूरित: जितेंद्रकमलआनंद( पोस्ट३२) जयबालाजी:: ताटंक छंद : ३१ मॉग सिया की सेंदुर पूरित ,लख कपि ने भी मल डाला देखा मॉ ने ,मन में सोचा, सुत कितना भोला- भाला । किया ज्ञात जब... Hindi · मुक्तक 368 Share Jitendra Anand 14 Oct 2016 · 1 min read मुक्तक ३ और ४ कहीं कोई भटकाव नहीं ( पोस्ट १७) कहीं कोई भटकाव नहीं कहीं कोई अलगाव नहीं किसी पंथ के अनुयायी हों आपस में टकराव नहीं ।।३।। आस का, अभिलाष का , विश्वास का हो । पल्लवित वट वृक्ष... Hindi · मुक्तक 233 Share Jitendra Anand 14 Oct 2016 · 1 min read मुक्तक : सूर्य का जग में नवल उन्मेष हो ( पोस्ट १६) सूर्य का जग में नवल उन्मेष हो । भ्रांति का कोई न मग अब शेष हो । हो सुशासन देश में संदेश यह -- मुस्कराता उल्लसित परिवेश हो ।।२!! -----... Hindi · मुक्तक 598 Share Jitendra Anand 14 Oct 2016 · 1 min read मुक्तक::: हर सुबह एक नयी आस लिए होती है हर सुबह एक नयी आस लिए होती है । दोपहर एक अमिट प्यास लिए होती है । डूब जाता हूँ किसी याद की तन्हाई में , चॉदनी रात जब मधुहास... Hindi · मुक्तक 282 Share