जयबालाजी:: भीमसेनमद हरनेकी लीला की:: जितेन्द्रकमल आनंद ( पोस्ट३३)
जयबालाजी:: ताटंक छंद क्रमॉक– ३३
चक्र सुदर्शन ,विहग गरुण जब फूले थे बल में बाला ।
कृष्ण- इंगितों पर लीला कर , अहम् हरा पलमें बाला !
रूप धरा हरि ने रघुवर का ,बनी सत्यभामा , सीता ।
किये कंत के चरण- स्पर्श , तज भामा – पद तुमने, बाला !!
—– जितेन्द्र कमल आनंद