भक्ति- योग से राज- शक्ति का जब हो भण्डारन बाला ( पोस्ट १२८)
मुक्तक ::
भक्ति– योग से राज – शक्ति का जब हो भण्डारन , बाला!
असुर – शक्तियों के छल- बल का होता तब मारण , बाला!
आत्म — तत्व का परिष्कार ही सभ्य- आचारण सिखलाता ।
‘ कमल’ आत्मसत्ता के तरु फिर करते फल धारण,
बाला ।।( ताटंक !!
—- जितेंद्रकमलआनंद रामपुर
०१–११–१६