सबकी अपनी जिन्दगी है
सबकी अपनी जिन्दगी है
सबके अपने दायरे है।
क्यों किसी के रंग ढंग में
प्रश्नवाचक चिन्ह गढ़ें ?
मैं, मेरे सपने है मेरे
दायित्व क्यों कोई और ले ?
भार मेरे सिर का जो
कोई और सिर यहाँ क्यों ढ़ुले ?
सबकी अपनी हैं गठरियाँ
सबकी दुष्कर राह है
जहाँ खुद की गठरी न संभलती
किसी और को क्या संभाल दे ।