चिड़िया आँगन आकर बोले,रस की गोली मुंह में घोले ।

चिड़िया आँगन आकर बोले,रस की गोली मुंह में घोले ।
आओ राजू तुम भी खेलो ,मोबाइल से छुट्टी ले लो ।।
सारे साथी बाहर आओ,मिलजुल कर है रेल बनाओ ।
खेल-खेल में दाना खाओ ,दाना खाकर सेहत पाओ ।।
फुदक-फुदक है मस्ती कर लो,चहक-चहक दुख सब के हर लो ।
साथी से है मन की कह लो,बचपन को है खुलकर जी लो।।
धूप भोर की मन को भाये , खेल-कूद सेहत बन जाये ।
अपनी एक टोली बन जाये , पड़े जरूरत साथ निभाये ।।
डॉ. रीता सिंह
चन्दौसी संभल