हिन्द वीर
सर पे पगड़ी ,हाथ में लाठी
गल मूंछ है ,चौड़ी छाती,
माथे पे टीका, हाथ जोड़
शीतल है जिसकी बाती,
भारत के वीरों की ये है
पहचान ओ मेरे साथी ,
अहंकार से दूर है जो
साहस से भरपूर है जो,
विद्या में निपुण सुशील है जो
वेद पुराणों का ज्ञान जिसे है
मन में है जिसके सखी,
भारत के वीरों की ये है
पहचान ओ मेरे साथी ,
मां धरा का जो सिंगार करे
कृषि का जो विस्तार करे,
खल-खल नदिया, छम- छम वर्षा
हर पल जिसका गुणगान करें,
मां भारती की जो दिव्य
पताका उठा रहे दिन राती,
भारत के वीरों की ये है
पहचान ओ मेरे साथी ,
कर्म ही जिसका सर्वधर्म है
धर्म में जिसके प्रेम भाव है,
दिव्य काव्य पग-पग पर
जिसको गीता है समझाती,
भारत के वीरों की ये है
पहचान ओ मेरे साथी,,,,,,,,