Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Dec 2023 · 1 min read

* भोर समय की *

** गीतिका **
~~
जब प्राची में रक्तिम आभा, ऊषा ने है बिखरायी।
भोर समय की शुभ वेला में, सुन्दर कलियां मुस्कायी।

खिल जाती जब धूप सहज ही, धुंध सिमटने लगती है।
खिली हुई हर ओर दिशाएं, देती सुन्दर दिखलायी।

सबके मन भाती हरियाली, नदियों की कल-कल छल छल।
जिसने भी है इसे निहारा, उस ने संतुष्टी पायी।

नीले नभ की ओर उड़ चले, निकल नीड़ से पंछी जब।
देख रहे हैं ऊंचाई से, धुंध अभी तक है छायी।

ढलक रही है बूंद ओस की, धीरे धीरे पिघल रही।
कलियां खोल रही है आंखें, तितली भी है अलसायी।

सर्द हवाओं का मौसम है, पत्ते हैं पीले पीले।
कभी कभी लगता यह मौसम, हमें बहुत ही हरजायी।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २२/१२/२०२३

1 Like · 1 Comment · 246 Views
Books from surenderpal vaidya
View all

You may also like these posts

अस्तित्व
अस्तित्व
Kapil Kumar Gurjar
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मोबाइल निगल गया
मोबाइल निगल गया
*प्रणय*
ज़िंदगी के मायने
ज़िंदगी के मायने
Shyam Sundar Subramanian
" पैगाम "
Dr. Kishan tandon kranti
My answer
My answer
Priya princess panwar
अरे मेघ! मेरे दूत बन जाओ
अरे मेघ! मेरे दूत बन जाओ
सोनू हंस
तब आदमी का होता है पीरी से सामना
तब आदमी का होता है पीरी से सामना
Johnny Ahmed 'क़ैस'
*केवल पुस्तक को रट-रट कर, किसने प्रभु को पाया है (हिंदी गजल)
*केवल पुस्तक को रट-रट कर, किसने प्रभु को पाया है (हिंदी गजल)
Ravi Prakash
*****जीवन रंग*****
*****जीवन रंग*****
Kavita Chouhan
उठ!जाग
उठ!जाग
राकेश पाठक कठारा
तृष्णा का थामे हुए हाथ
तृष्णा का थामे हुए हाथ
Shally Vij
जिन्दगी सदैव खुली किताब की तरह रखें, जिसमें भावनाएं संवेदनशी
जिन्दगी सदैव खुली किताब की तरह रखें, जिसमें भावनाएं संवेदनशी
Lokesh Sharma
मनवार
मनवार
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
4760.*पूर्णिका*
4760.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
- राहत -
- राहत -
bharat gehlot
दुश्मनों  को  मैं हुकार  भरता हूँ।
दुश्मनों को मैं हुकार भरता हूँ।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
एक चींटी
एक चींटी
Minal Aggarwal
बारिश की बूँदें
बारिश की बूँदें
Rambali Mishra
चलो चलें कश्मीर घूमने
चलो चलें कश्मीर घूमने
लक्ष्मी सिंह
"मज़ाक"
Divakriti
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*मैं और मेरी तन्हाई*
*मैं और मेरी तन्हाई*
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
पूतना वध
पूतना वध
Jalaj Dwivedi
जीवन  में फल रोज़-रोज़ थोड़े ही मिलता है,
जीवन में फल रोज़-रोज़ थोड़े ही मिलता है,
Ajit Kumar "Karn"
चिंता अस्थाई है
चिंता अस्थाई है
Sueta Dutt Chaudhary Fiji
गीत- मिला कोई अदाओं से...
गीत- मिला कोई अदाओं से...
आर.एस. 'प्रीतम'
इंसान का कोई दोष नही जो भी दोष है उसकी सोच का है वो अपने मन
इंसान का कोई दोष नही जो भी दोष है उसकी सोच का है वो अपने मन
Rj Anand Prajapati
Piyush Goel - Real Life Hero
Piyush Goel - Real Life Hero
Piyush Goel
Loading...