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22 Feb 2024 · 1 min read

पूतना वध

नंदगाव में बैठे कान्हा, सबको मोहित करते जाए
जो भी उनके द्वारे आवे, सब ही उनको देखन चाहे
और मैया के लल्ला है प्यारे, उनको देखो खूब सताए
पुरे घर में खूब फुदकते, भर-भर देखो माखन खाये
आयी पूतना घर के द्वारे बोली, ‘कृपा करो यजमान!
हो जाऊँगी धन्य अगर जो इनको करा सकू पयपान’
लीला करते केशव समझे, उस असुरी का मायाजाल
उठा लिया कान्हा को उसने, गोद बिराजे माखन लाल
असुरी देखो खूब उछल रही, सोचा उसने बन गया काम
ले गयी उनको घर के भीतर, और करा दिया विषपान
नंदलाल की मानव लीला, फिर देखे पूरा संसार
चीखी असुरी, उठके भागी, ज्यो ही निकले उसके प्राण
पुरे नंदगाव में गुंजी, उस असुरी की चीख पुकार
बहार आके सबने देखा, मच गया सबमे हाहाकार
विष पिलाने आयी असुरी, उसका देखो ये अंजाम
भागी-भागी उड़ी हवा में, और फिर नीचे गिरी धड़ाम
आये सभी जन नंदगाव के, कान्हा को सब ढूंढत जाए
और लल्ला बैठे उस असुरी, पे मंद-मंद देखो मुस्काये
मृत पड़ी थी वो असुरी, ये बालक था उसका काल
देख प्रभु की अद्भुत लीला, सब जन बोले ‘जय नंदलाल!’

Language: Hindi
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