तुम्हारे इंतिज़ार में ........
ज़िन्दगी का मुश्किल सफ़र भी
यूं ही मंज़िल मिला न करती
विचारों की सुन्दरतम् प्रस्तुति का नाम कविता
किसी को भी दूसरे के श्रम पर मोटे होने का अधिकार नहीं है। उपज
मांनखौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
ना मोहब्बत ना इज़हार-ए-वफ़ा,ना कोई जज़्बात रहा।
अंदाज़े शायरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आंसू जता देते है, दर्द कैसा है ?
जीवन में प्रेम और ध्यान को मित्र बनाएं तभी आप सत्य से परिचित
चेहरे पर तेरे मुस्कान गुलाबी सर्द सी है।