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1 Sep 2024 · 1 min read

नशा ख़राब है l

“नशा अभिशाप है”

बिड़ी तबाखू गांजा दारू
रंग- रंग पाऊच खावत हच ।
भरे जवानी म बुढ़ापा बुलावत हच
मौत ल अपन परघावत हच ।।

नशा म स्वास्थ्य होथे खराब
तभो ले लोग पीथे शराब ।
धन खरचा होथे बेहिसाब
जब इंसान होथे नशा म बर्बाद।

घर परिवार म होथे लड़ाई
नई होवय नशा ले कोनो के भलाई ।
अब तो कहना मान मोर भाई
नशा होथे मौत के खाई।

गांव बस्ती म मान सम्मान खोथे
सब कुछ खो के पाछू रोथे।
नशा ल छोड़ परिवार संग रहीथे
तभे जीवन आगु बड़थे।

रंजीत कुमार पात्रे
( कोटा बिलासपुर )

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