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6 May 2024 · 1 min read

अस्तित्व

कौन चाहता है?
अपना अस्तित्व खो देना
ऐसे
किसी धीमी हवा में उड़‌ते
रेत की तरह
पतझड़ में पेड से गिरते
पत्तों की तरह
घुप्प-अंधेरे में जलते दीयें से
टकराते हुए, किसी कीट-पतंग की तरह ।

जिंदगी के ठीक विपरित
मृत्यु नही होती
इनके बीच की एक कडी होती है
जिसमें मनुष्य दौड़ लगा रहा होता है
वह कुत्ते की तरह दौड़ रहा होता है
पर, कुत्ते की तरह हाँफता नहीं है
उसकी जीभ एक हाथ बाहर नहीं होती।

एक झुंड में रह कुत्तों में से
किसी एक कुत्ते के बीमार होने पर
अन्य कुत्ते भी मनाते हैं शोक ।
परन्तु आदमियों की नस्लों से ये गुण
धीरे-धीरे छूटते जा रहे है।

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