मुक्तक::: हर सुबह एक नयी आस लिए होती है
हर सुबह एक नयी आस लिए होती है ।
दोपहर एक अमिट प्यास लिए होती है ।
डूब जाता हूँ किसी याद की तन्हाई में ,
चॉदनी रात जब मधुहास लिए होती है ।।१!!पोस्ट १५!!
—- जितेन्द्र कमल आनंद
हर सुबह एक नयी आस लिए होती है ।
दोपहर एक अमिट प्यास लिए होती है ।
डूब जाता हूँ किसी याद की तन्हाई में ,
चॉदनी रात जब मधुहास लिए होती है ।।१!!पोस्ट १५!!
—- जितेन्द्र कमल आनंद