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16 Dec 2024 · 1 min read

बहता काजल पलक से उठाने दे ज़रा ।

बहता काजल पलक से उठाने दे ज़रा ।
रूठी लबों से हंसी को मनाने दे ज़रा ।
सदियों संवारा है तुझे ख़्वाबों में अपने –
तेरे ख़्वाबों में घर अपना बनाने दे ज़रा ।

सुशील सरना

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