बहता काजल पलक से उठाने दे ज़रा ।
बहता काजल पलक से उठाने दे ज़रा ।
रूठी लबों से हंसी को मनाने दे ज़रा ।
सदियों संवारा है तुझे ख़्वाबों में अपने –
तेरे ख़्वाबों में घर अपना बनाने दे ज़रा ।
सुशील सरना
बहता काजल पलक से उठाने दे ज़रा ।
रूठी लबों से हंसी को मनाने दे ज़रा ।
सदियों संवारा है तुझे ख़्वाबों में अपने –
तेरे ख़्वाबों में घर अपना बनाने दे ज़रा ।
सुशील सरना