Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Sep 2024 · 3 min read

*” पितृ पक्ष एवं श्राद्ध कर्म”*

” पितृ पक्ष एवं श्राद्ध कर्म”
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद श्राद्ध करना बेहद जरूरी माना जाता है। मान्यतानुसार अगर किसी मनुष्य का विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण ना किया जाए तो उसे इस लोक से मुक्ति नहीं मिलती और वह भूत के रूप में इस संसार में ही रह जाता है।
पितृ पक्ष का महत्त्व –
ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार देवताओं को प्रसन्न करने से पहले मनुष्य को अपने पितरों यानि पूर्वजों को प्रसन्न करना चाहिए। हिन्दू ज्योतिष के अनुसार भी पितृ दोष को सबसे जटिल कुंडली दोषों में से एक माना जाता है। पितरों की शांति के लिए हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक के काल को पितृ पक्ष श्राद्ध होते हैं। मान्यता है कि इस दौरान कुछ समय के लिए यमराज पितरों को आजाद कर देते हैं ताकि वह अपने परिजनों से श्राद्ध ग्रहण कर सकें।
श्राद्ध क्या है?
ब्रह्म पुराण के अनुसार जो भी वस्तु उचित काल या स्थान पर पितरों के नाम उचित विधि द्वारा ब्राह्मणों को श्रद्धापूर्वक दिया जाए वह श्राद्ध कहलाता है। श्राद्ध के माध्यम से पितरों को तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता है। पिण्ड रूप में पितरों को दिया गया भोजन श्राद्ध का अहम हिस्सा होता है।
क्यों जरूरी है श्राद्ध देना?
मान्यता है कि अगर पितर रुष्ट हो जाए तो मनुष्य को जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पितरों की अशांति के कारण धन हानि और संतान पक्ष से समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। संतान-हीनता के मामलों में ज्योतिषी पितृ दोष को अवश्य देखते हैं। ऐसे लोगों को पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।
क्या दिया जाता है श्राद्ध में?
श्राद्ध में तिल, चावल, जौ आदि को अधिक महत्त्व दिया जाता है। साथ ही पुराणों में इस बात का भी जिक्र है कि श्राद्ध का अधिकार केवल योग्य ब्राह्मणों को है। श्राद्ध में तिल और कुशा का सर्वाधिक महत्त्व होता है। श्राद्ध में पितरों को अर्पित किए जाने वाले भोज्य पदार्थ को पिंडी रूप में अर्पित करना चाहिए। श्राद्ध का अधिकार पुत्र, भाई, पौत्र, प्रपौत्र समेत महिलाओं को भी होता है।
श्राद्ध में कौओं का महत्त्व
कौए को पितरों का रूप माना जाता है। मान्यता है कि श्राद्ध ग्रहण करने के लिए हमारे पितर कौए का रूप धारण कर नियत तिथि पर दोपहर के समय हमारे घर आते हैं। अगर उन्हें श्राद्ध नहीं मिलता तो वह रुष्ट हो जाते हैं। इस कारण श्राद्ध का प्रथम अंश कौओं को दिया जाता है।
किस तारीख में करना चाहिए श्राद्ध?
सरल शब्दों में समझा जाए तो श्राद्ध दिवंगत परिजनों को उनकी मृत्यु की तिथि पर श्रद्धापूर्वक याद किया जाना है। अगर किसी परिजन की मृत्यु प्रतिपदा को हुई हो तो उनका श्राद्ध प्रतिपदा के दिन ही किया जाता है। इसी प्रकार अन्य दिनों में भी ऐसा ही किया जाता है। इस विषय में कुछ विशेष मान्यता भी है जो निम्न हैं:
* पिता का श्राद्ध अष्टमी के दिन और माता का नवमी के दिन किया जाता है।
* जिन परिजनों की अकाल मृत्यु हुई जो यानि किसी दुर्घटना या आत्महत्या के कारण हुई हो उनका श्राद्ध चतुर्दशी के दिन किया जाता है।
* साधु और संन्यासियों का श्राद्ध द्वाद्वशी के दिन किया जाता है।
* जिन पितरों के मरने की तिथि याद नहीं है, उनका श्राद्ध अमावस्या के दिन किया जाता है। इस दिन को सर्व पितृ श्राद्ध कहा जाता है।
*** शशिकला व्यास ***
राधैय राधैय जय श्री कृष्णा

121 Views

You may also like these posts

जय मां शारदे
जय मां शारदे
Harminder Kaur
एक अच्छे समाज का निर्माण तब ही हो सकता है
एक अच्छे समाज का निर्माण तब ही हो सकता है
कृष्णकांत गुर्जर
“श्री गणेश”
“श्री गणेश”
Neeraj kumar Soni
नफ़रतों में घुल रही ये जिंदगी है..!
नफ़रतों में घुल रही ये जिंदगी है..!
पंकज परिंदा
असहिं का वृद्ध लो के होई दुरगतिया
असहिं का वृद्ध लो के होई दुरगतिया
आकाश महेशपुरी
सुबह -सुबह
सुबह -सुबह
Ghanshyam Poddar
"मीठा खा कर शुगर बढ़ी अन्ना के चेले की।
*प्रणय*
-आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया हो गया -
-आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया हो गया -
bharat gehlot
आता है उनको मजा क्या
आता है उनको मजा क्या
gurudeenverma198
अलसाई आँखे
अलसाई आँखे
A🇨🇭maanush
जख्म हरे सब हो गए,
जख्म हरे सब हो गए,
sushil sarna
मैं कुछ सोच रहा था
मैं कुछ सोच रहा था
Swami Ganganiya
नैतिकता का इतना
नैतिकता का इतना
Dr fauzia Naseem shad
एक बूढ़ा बरगद ही अकेला रहा गया है सफ़र में,
एक बूढ़ा बरगद ही अकेला रहा गया है सफ़र में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्रकाशोत्सव
प्रकाशोत्सव
Madhu Shah
कब आओगे ? ( खुदा को सदाएं देता एक गमगीन दिल ...)
कब आओगे ? ( खुदा को सदाएं देता एक गमगीन दिल ...)
ओनिका सेतिया 'अनु '
*जीवन में जो पाया जिसने, उस से संतुष्टि न पाता है (राधेश्याम
*जीवन में जो पाया जिसने, उस से संतुष्टि न पाता है (राधेश्याम
Ravi Prakash
दोहा- छवि
दोहा- छवि
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दोहा
दोहा
Sudhir srivastava
जन्मभूमि
जन्मभूमि
Rahul Singh
माता रानी का भजन अरविंद भारद्वाज
माता रानी का भजन अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
2648.पूर्णिका
2648.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मजदूर
मजदूर
Dr Archana Gupta
"यादें" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
प्रयास जारी रखें
प्रयास जारी रखें
Mahender Singh
*दर्शन शुल्क*
*दर्शन शुल्क*
Dhirendra Singh
कृषक समाज
कृषक समाज
Rambali Mishra
आज हम ऐसे मोड़ पे खड़े हैं...
आज हम ऐसे मोड़ पे खड़े हैं...
Ajit Kumar "Karn"
किया आहाँ गीत गाबैत छी ? जतय कमेंट करबा क अछि !
किया आहाँ गीत गाबैत छी ? जतय कमेंट करबा क अछि !
DrLakshman Jha Parimal
दोषी कौन?
दोषी कौन?
Indu Singh
Loading...