sp81दिव्य आत्मा अटल जी को
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हम भी बड़े भाग्यशाली मिले अटल जी लखनऊ में
एक टेबल पर साथ में खाया खाना हमने लखनऊ में
फिर हमने कर दिया निवेदन सुनिए एक अच्छी कविता
वह मुस्कुराए हंसकर बोले आप सुनाएं अच्छी कविता
हमने उन्हें सुनाई वो कविता हिंदू तन मन हिंदू जीवन वाली
कविता सुनकर उनके चेहरे पर आई गौरव की एक लाली
सुनकर प्रश्न किया तब उनने क्या लिखी आपकी है कविता
हमने उत्तर दिया त्वरित उन्हें जी नहीं आपकी है कविता
राष्ट्रवाद से प्रेरित संकलन जय घोष हमारा आया है
कहते हैं लोग आपका प्रभाव कुछ रचनाओं में छाया है
हम आपको उस संकलन में से प्रतिनिधि रचनाएं सुनाते हैं
हिंदू परिचय की रचनाओं का गौरव क्या बतलाते हैं
सुनकर हमारी रचनाओं को था उन्होंने आशीर्वाद दिया
लेखन तो हमारा धन्य हुआ जिसने मन को आल्हाद दिया
100 वर्ष हुए उनके पूरे करती है उन्हें लेखनी नमन
फिर भारत भू पर वह आए हम सभी करेंगे अभिनंदन
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
यह भी गायब वह भी गायब