आस का ,अभिलाष का ,विश्वास का हो:: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट४९) मुक्तक
मुक्तक ::
आस का , अभिलाष का , विश्वास का हो ।
पल्लवित वट — वृक्ष अब मधुमास का हो ।
बैठ जिसकी छॉव में जीवन सँवारें ।
हम सभी को प्रत्येक पल उल्लास का हो ।।४९,!!
— जितेंद्रकमल आनंद