मन सुमन को चाहिए लब मुस्कराते: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट११२)
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ ::: मुक्तक
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मन सुमन को चाहिए, लब मुस्कराते ।
कवि रसिक को चाहिए ये गीत गाते ।
हों ऋचाएँ छंद के सँग में मधुरतम| ।
और सुन हम भी ‘ कमल ‘ कुछ गुनगुनाते ।।
दीपावली ! दीपावली ! दीपावली !
गाइए सब गीतिका हो मन सरल ।
दीप ये जलकर मिटायेंगे तिमिर सब ।
खिल मुदित हो जायेंगे मन के ‘ कमल ‘।।
—— जितेंद्रकमलआनंद रामपुर ( उत्तर प्रदेश)