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6 Jan 2025 · 1 min read

*वह श्रद्धा के पात्र, पार नव्वे जो जीते (कुंडलिया)*

वह श्रद्धा के पात्र, पार नव्वे जो जीते (कुंडलिया)
________________________
जीते जीवन का दशक, दसवॉं स्वस्थ महान
धन्य-धन्य वह प्रेरणा, बनते जो उपमान
बनते जो उपमान, खड़े पैरों पर होते
काम कर रहे नेत्र, हाथ खुद से नित धोते
कहते रवि कविराय, श्रवण-रस हर दिन पीते
वह श्रद्धा के पात्र, पार नव्वे जो जीते

रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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