Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jan 2024 · 1 min read

विनती

पथ प्रदर्शित करें सियाराम,
माँ भवानी अपनी शक्ति दें।
तन, मन दोनों हों समर्पित,
प्रभु अपनी पावन भक्ति दें।।

अवगुणों के असुर नष्ट हों,
जीवन के सभी क्लेश कटें।
रोम-रोम हो तन का पावन,
हृदय से ईर्ष्या एवं द्वेष हटें।।

हाथ जोड़ प्रभु इतनी विनती,
महिमा तेरी दिन-रात मैं गाऊँ।
हृदय-कमल समर्पित तुमको,
कण-कण में तेरा दर्शन पाऊँ।।

रचनाकार :- कंचन खन्ना, मुरादाबाद,
(उ०प्र०, भारत)।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)।
दिनांक :- २५/१०/२०२०.

Language: Hindi
173 Views
Books from Kanchan Khanna
View all

You may also like these posts

आगे हमेशा बढ़ें हम
आगे हमेशा बढ़ें हम
surenderpal vaidya
अबाध गति से गतिमान, कालचक्र चलता रहता है
अबाध गति से गतिमान, कालचक्र चलता रहता है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
" मेरा राज मुझको कभी हारने नहीं देता "
Dr Meenu Poonia
शिव
शिव
डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि'
खिला हूं आजतक मौसम के थपेड़े सहकर।
खिला हूं आजतक मौसम के थपेड़े सहकर।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
खुले आम जो देश को लूटते हैं।
खुले आम जो देश को लूटते हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
शहीद की अंतिम यात्रा
शहीद की अंतिम यात्रा
Nishant Kumar Mishra
पल पल रंग बदलती है दुनिया
पल पल रंग बदलती है दुनिया
Ranjeet kumar patre
*मौन*
*मौन*
Priyank Upadhyay
मेरी स्मृति...
मेरी स्मृति...
NAVNEET SINGH
🌹खूबसूरती महज....
🌹खूबसूरती महज....
Dr .Shweta sood 'Madhu'
ग़ज़ल-क्या समझते हैं !
ग़ज़ल-क्या समझते हैं !
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
My broken lashes
My broken lashes
Ankita Patel
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक समीक्षा* दिनांक 5 अप्रैल
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक समीक्षा* दिनांक 5 अप्रैल
Ravi Prakash
यजीद के साथ दुनिया थी
यजीद के साथ दुनिया थी
shabina. Naaz
"कौआ"
Dr. Kishan tandon kranti
अगर आप
अगर आप
Dr fauzia Naseem shad
तिलक लगाया माथ पर,
तिलक लगाया माथ पर,
sushil sarna
2828. *पूर्णिका*
2828. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
परिणाम से डरो नहीं
परिणाम से डरो नहीं
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
फर्क़ है
फर्क़ है
SURYA PRAKASH SHARMA
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*प्रणय*
कभी कभी युही मुस्कुराया करो,
कभी कभी युही मुस्कुराया करो,
Manisha Wandhare
सुरत सरताज
सुरत सरताज
Sonu sugandh
आँखों में नींदें थी, ज़हन में ख़्वाब था,
आँखों में नींदें थी, ज़हन में ख़्वाब था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शुभ रात्रि मित्रों
शुभ रात्रि मित्रों
आर.एस. 'प्रीतम'
I became extremely pleased to go through your marvellous ach
I became extremely pleased to go through your marvellous ach
manorath maharaj
*क्यों ये दिल मानता नहीं है*
*क्यों ये दिल मानता नहीं है*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
Loading...