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31 Oct 2023 · 1 min read

शुभ रात्रि मित्रों

शुभ रात्रि मित्रों
सवेरा हर नया आए लिए पहचान नव कोई
नहीं सोना लिए चिंता सजा सपनों का भव कोई/1

नहीं कल का पता जिसको नहीं पल का पता जिसको
यहाँ इंसान जीता क्यों लिए दिल में है रव कोई/2

शब्दार्थ- नव-नया, भव-संसार, रव-शोर-शराबा
शायर- आर.एस.’प्रीतम’

1 Like · 848 Views
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