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30 Sep 2024 · 1 min read

सुखराम दास जी के कुंडलिये

बीजरूप नमस्कार है, उत्तम मन का जान।
मध्यम है अंकुर रूप, बाणी का पहचान॥1

बाणी का पहचान, वृक्ष रूप कनिष्ठ है तन का।
चितन कथन वन्दन है, नाम करन का॥2

मन से चिंतन कथन बाणी से तन से नमस्कार। सुखरामदास गुरू आदिक को नमन तीन प्रकार॥3

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