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20 Oct 2024 · 1 min read

भावना में

गीतिका
~~
भावना में न बहना हमें है यहां।
आज हर कष्ट सहना हमें है यहां।

दिव्यता से भरा खूब सौंदर्य है,
अब न चुपचाप रहना हमें है यहां।

बात मन की छुपाना जरूरी नहीं,
पर सभी से न कहना हमें है यहां।

है युगों से हिमालय खड़ा जब अटल,
भरभरा कर न ढहना हमें है यहां।

देश अपना हमें प्रिय सभी से बहुत,
प्रिय नहीं स्वर्ण गहना हमें है यहां।
~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

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