कुछ ख़्वाब टूटकर भी मरते नहीं हैं.
चाहतों की सेज न थी, किंतु ख्वाबों का गगन था.....
वक्त
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*" महा कुंभ प्रयाग राज "*
ये दुनिया है कि इससे, सत्य सुना जाता नहीं है
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सांप पालतू भी हो, तो डंसना नही छोड़ेगा
काश ऐसा हो, रात तेरी बांहों में कट जाए,
राम वन गमन -अयौध्या का दृश्य
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
अगर कोई इच्छा हो राहें भी मिल जाती है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मां
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
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धड़कने अब मेरी मेरे बस में नही