जो अंदर से घबराएं हुए हो वो बाहर से शारीरिक रूप से संकेत दे
चाहत किसी को चाहने की है करते हैं सभी
वो दूरियां सात समंदर की, तो तुम पार कर आये।
।सरस्वती वंदना । हे मैया ,शारदे माँ ।
*उपस्थिति रजिस्टर (हास्य व्यंग्य)*
शिगाफ़ तो भरे नहीं, लिहाफ़ चढ़ गया मगर
आकाश और पृथ्वी
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
शक करके व्यक्ति अपने वर्तमान की खुशियों को को देता है रिश्तो
నమో గణేశ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'