sp77 नदी नाव मझ धार
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नदी नाव मझधार पे कविता या लिख दो पतवार पर कविता
जिसने सीखा स्वयं तैरना वह ही पार उतर पाएगा
अपनी साधना से जिसको भी आ जाए पानी पर चलना
घोर तपस्या करने वाला ही पार नदी के खुद जाएगा
अपनी क्षमता भूल कर रहे जो औरों पर गलत टिप्पणी
उनको इस साहित्य जगत में आलोचक ही कहा जाएगा
व्यापक बड़ा क्षेत्र कविता का बहुरंगी फूलों की क्यारी
ज्ञान की ज्योति जलाने वाला ही विद्वान कहा जाएगा
तुलसी सूर कबीर और भूषण दिशा दिखाते मानवता को
इनसे प्रेरित जिनका लेखन वह सच्चा कवि कहलाएगा
दिनकर दुष्यंत निराला जैसे देते रहे प्रेरणा हमको
नीरज जी का नूर साहब का समय भी अद्भुत कहलाएगा
अच्छा लिखिए अच्छा पढ़िए मत करिए आलोचना किसी की
निंदक नियरे राखिए वाला दोहा सार्थक हो जाएगा
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
यह भी गायब वह भी गायब