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26 Aug 2024 · 1 min read

देख रे भईया फेर बरसा ह आवत हे……

देख रे भईया फेर बरसा ह आवत हे,
देख रे भईया फेर बरसा ह आवत हे।
गली खोर, नदिया,नरवा, मार पानी के बकबकवात हे,
सावन के महीना मा संगी सबो, मजा लेके नहावत हे,
देख रे भईया फेर……………………………..

1. तैहे के सुरता मोला रही रही के सतावत हे,
का बांटी, का भौरा खेलन अब धीरे धीरे सब नंदावत हे,
तैहा के बात ला बैहा लेगे यहू एक ठन कहावत ए,
कब के बात ला गोठियाथास संगवारी कहिके संगवारी मन खिसियावत हे।
देख रे भईया फेर………………………………………

2. पानी के गोदगोदा मा कईसे, लईका मन डोंग डोंगी बनावत हे,
सबो संगवारी मिलके संगी, चिखला माटी म सनावत हे,
कपड़ा लत्ता के ठिकाना नई हे,
कपड़ा लत्ता के ठिकाना नई हे,
घर के दाई खिसिया खिसिया के चिल्लावत हे,
देख रे भईया फेर………………………………………

3. भुइंया के फिलिम देख इंद्र देव घलो मुस्कावत हे,
बादर के गरजना सुनथव ता अइसे लगथे जईसे भगवान
मांदर बजावत हे,
सावन के महीना सबके मन ला भावत हे
देख रे भईया फेर……………………………………..

Language: Chhattisgarhi
Tag: Poem
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