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15 Mar 2021 · 1 min read

उम्मीद

सुनते आये अक्सर लोगों से हम ,
उम्मीदों पर ही है दुनिया कायम।

उम्मीद का दामन मत छोड़ना ,
इसी के होंसलों से ज़िंदा हैं हम ।

चाहे जिंदगी में घना अँधेरा हो ,
एक चिराग तो रोशन हो हरदम ।

तकदीर खेले चाहे कितने भी खेल ,
उम्मीद के सहारे तो जीतेंगे हम ।

अपने दुश्मनों औ रकीबों से कह दो ,
तुम्हारे गुरूर से जा! नहीं डरते हम।

अपने ख्वाबों को अश्कों के सैलाब में ,
कब तलक बहने देंगे आखिर हम।

उम्मीद पर गर दुनिया है कायम,
तो कैसे छोड़ देंगे इसका दामन हम !

उम्मीद-ए-नज़र रखकर ख़ुदा पर ,
एक रूहानी रिश्ता उससे बनाते हम।

मगर घबरा जाए जब नादां दिल ,
नाकामयाबी पर उसे दिलासा देते हम ।

जीना ही है ‘अनु’ तो चलो ! यही सही !!
ज़िंदा लाश बनकर तो जी नहीं सकते हम ।

8 Likes · 11 Comments · 698 Views
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