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15 Dec 2024 · 1 min read

तन्हा जिंदगी अब जीया न जाती है

दोस्तों,
एक ग़जल आपकी मुहब्बतों के हवाले,,,!!

ग़ज़ल
====

जी भर कर मुझ को अब सोने दो,
बांहों में तेरी मुझको अब खोने दो।
=====================

कब से बेकरार हूँ तुमसे मिलने को ,
दो जिस्म एक जाँ मुझको होने दो।
=====================

है जो नफरत दिल में तेरे छोड़ो भी,
इस दिल में बीज प्यार का बोने दो।
=====================

तन्हा जिंदगी अब जीया न जाती है,
अब कंधो को बोझ तुम्हारा ढ़ोने दो।
======================

रुठ कर मिले हमे जो जख़्म तुम से
धोती हूँ उन जख़्मों को तो धोने दो।
======================

इल्तिजा है शायर “जैदि” इक तुमसे,
मुझ को फ़कत अब तुम्हारी होने दो।
======================

शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”
बीकानेर।

Language: Hindi
80 Views
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