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3 Jun 2024 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक

तू कामनाओं में फंसता है क्यूँ
संभल जाता है , तो फिर गिरता है क्यूँ |
बार – बार गिरना और उठना क्यूँ
खुद को समझाता नहीं है क्यूँ ||

अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

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