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25 Jan 2023 · 1 min read

शायरी

यूं अधूरा सा हर ख्वाब, हर फसाना लगे।
उनसे बिछड़े हुए अब तो, एक जमाना लगे।।
न दिल में है कोई ख्वाहिश, ना कोई तमन्ना।
किसी जलते हुए घर में,अपना आशियाना लगे।।
@सर्वाधिकार सुरक्षित
डॉ मनीष सिंह राजवंशी

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