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19 Jan 2022 · 1 min read

तुम हो तो….

प्रत्यक्ष न देखूं तो हसर क्या?
भले फलसफे का एहसास है,
होना क्या है,ना होना क्या है?
तटस्थ होकर भी बेकार है।

तुम नही तो फीका इंद्रधनुष भी,
तुम हो तो मयस्सर है रंग तमाम,
तुम हो तो बोलती है आंखे भी
तुम नही तो जुबां भी परेशान।

तुम हो तो वीरान में भी बसंत
तुम नही तो फीका सा है सावन,
तुम हो तो संगीत है निर्जन में
तुम नही तो मौन वीणा पावन।

तुम हो तो सब है हर कहीं
बहुत कुछ नहीं है तुम बिन,
तुम हो तो महज चौबीस घंटे
तुम्हारे बगैर पूरा… एक दिन।

© अभिषेक पाण्डेय अभि

48 Likes · 4 Comments · 433 Views
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