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6 May 2017 · 1 min read

रमेशराज के 2 मुक्तक

बस यही फैसला अच्छा है
मद-मर्दन खल का अच्छा है |
जो इज्जत लूटे नारी की
फांसी पर लटका अच्छा है ||
+रमेशराज

———————–

सब हिस्से के इतवार गये
त्यौहार गये सुख-सार गये,
हम मोहरे बने सियासत के
वे जीत गये हम हार गये
+रमेशराज

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