गरीब–किसान
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
जमाने के रंगों में मैं अब यूॅ॑ ढ़लने लगा हूॅ॑
वो जो कहते है पढ़ना सबसे आसान काम है
दर्द दिल का है बता नहीं सकते,
ज़िन्दगी भी हाल अपना देख कर हैरान है
ना जाने ज़िंदगी में कई दाॅंव - पेंच होते हैं,
*अंतःकरण- ईश्वर की वाणी : एक चिंतन*
** लगाव नहीं लगाना सखी **
खुश रहोगे कि ना बेईमान बनो
"बेखबर हम और नादान तुम " अध्याय -3 "मन और मस्तिष्क का अंतरद्वंद"
चौपालपुर का चौपाल (कहानी संघर्ष से बर्बादी की)
Abhilesh sribharti अभिलेश श्रीभारती
आज की तरह तुम ना मिलो दोस्त में कोई भीखारी नहीं हूं ?
फनीश्वरनाथ रेणु के जन्म दिवस (4 मार्च) पर विशेष
ज़िंदगी एक कहानी बनकर रह जाती है
खुशियों से भी चेहरे नम होते है।