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5 Mar 2024 · 1 min read

फनीश्वरनाथ रेणु के जन्म दिवस (4 मार्च) पर विशेष

गाॅंव में यह खबर तुरत बिजली की तरह फैल गई – मलेटरी ने बहरा चेथरु को गिरफ्फ कर लिया है और लोबिनलाल के कुऍं से बाल्टी खोलकर ले गए हैं।
– – – – – – – –
“हुजूर, यह सुराजी बालदेव गोप है। दो साल जेहल खटकर आया है; इस गाॅंव का नहीं,चन्ननपट्टी का है। यहाॅं मौसी के यहाॅं आया है। खध्धड़ पहनता है, जैहिन्न बोलता है।

हिन्दी साहित्य के आंचलिक कथा सम्राट फणीश्वरनाथ रेणु को जयन्ती के अवसर पर शत् शत् नमन एवं विनम्र श्रद्धाॅंजलि।
अपने उपन्यास मैला आंचल, परती परिकथा, जुलूस, कितने चौराहे, पलटू बाबू रोड एवं कथा संग्रह आदिम रात्रि की महक, ठुमरी, अग्निखोर और कहानी मारे गये गुलफाम, संवदिया, ठेस, पंचलाईट, लाल पान की बेगम इत्यादि में आंचलिक जीवन के हर धुन, हर गंध, हर लय, हर ताल, हर सुर, हर सुंदरता, हर कुरुपता को शब्दों में बांधने का रेणु की कोशीष का कोई पर्याय नहीं है। सबसे बड़ी बात है कि जिन पात्रों को कहानी में पिरो कर इसने विश्व हिन्दी साहित्य में अपने लिए एक अलग विशिष्ट पहचान बनाया है, वह पात्र आपको आज भी खास कर जब आप पूर्णिया से फारबिसगंज तक की बस यात्रा और रेल यात्रा खिड़की वाली सीट पर बैठ कर करें तो कहीं गाड़ीवान,कहीं खेत में काम करता हुआ किसान,मजदूर,किसी चौक पर चाय की दुकान में गप्प लड़ाते और बात बात पर बहस करने के क्रम में इस्स… करते लोग,नाच मंडली के लोग,संवदिया, कलाकार, जुलूस में शामिल लोग इत्यादि के रुप में सहज रुप से देखने को मिल जाएगा। 🙏

Language: Hindi
Tag: लेख
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